vktex<+ ds शैलेन्द्र flag ds erkuwlkj फैक्ट्री के लिए जरूरी वास्तु टिप्स। सदैव फैक्ट्री या उद्योग का निर्माण आर्थिक उन्नति के लिए किया जाता है। फैक्ट्रियों के लिए शेरमुखी भूमि उत्तम एंव लाभकारी मानी जाती है। परन्तु शेरमुखी जमीन मकान के लिए अशुभ मानी जाती है। शेरमुखी जमीन में आगे वाले भाग की लम्बाई अधिक होती है एंव पीछे वाले भाग की लम्बाई कम होती है।
अब सवाल यह उठता है कि फैक्ट्रियों के निर्माण में वास्तु का प्रयोग किस प्रकार किया जाये कि लाभकारी परिणाम मिले। तो वो इस प्रकार हैं-
1- हमेशा फैक्ट्री का मुख्यद्वार पूर्व-उत्तर के मध्य में रखना चाहिए।
2- फैक्ट्रियों के निर्माण में यह घ्यान रखना चाहिए कि पूर्व-उत्तर का भाग सदैव दक्षिण-पश्चिम के भाग से नीचा होना चाहिए।
3- यह घ्यान रखना चाहिए कि कच्चा माल दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए एंव अन्तिम तैयार माल पूर्व-उत्तर में दिशा में रखना चाहिए।
4- फैक्ट्रियों में कर्मचारियों के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा का चयन करना चाहिए।
5- शौचालय एंव मूत्रालय हेतु दक्षिण-पश्चिम दिशा का चयन करना चाहिए।
6- फैक्ट्रियों में पार्किंग की व्यवस्था उत्तर-पश्चिम दिशा में करनी चाहिए।
7- प्रशासकीय कक्ष हेतू पूर्व-उत्तर दिशा का चयन करना चाहिए।
8- फैक्ट्रियों में गार्ड या सिक्योरिटी ऑफिस को उत्तर दिशा के मुख्य मार्ग के उत्तर-पश्चिम के कोण पर करना चाहिए।
9- पानी की समस्त व्यवस्था या ट्यूबल ईशान कोण में होना उचित रहता है।
10- कच्चे माल का उत्पादन दक्षिण-पश्चिम दिशा से प्रारम्भ होकर पूर्व-उत्तर की ओर निकासी होनी चाहिए।
11- फैक्ट्रियों में फर्श का ढलान दक्षिण-पश्चिम दिशा से पूर्व-उत्तर की ओर होना चाहिए।
12- फैक्ट्रियों में मन्दिर का निर्माण ईशान कोण में करना चाहिए।
उपरोक्त सावधानियों को ध्यान में रखकर यदि किसी फैक्ट्री का निर्माण किया जाये तो उस फैक्ट्री का भविष्य उज्जवल रहता है।
यदि आप डॉक्टर हैं और आपकी क्लीनिंक नहीं चल रही है। वकील हैं और आपकी प्रेक्टिस अच्छी नहीं चल रही है या फिर कंसल्टेंसी का धंधा मंदा है, तो हो सकता है वास्तु दोष आपकी सफलता के आड़े आ रहे हों। हम आपको बता रहे हैं वास्तु टिप्स जिनका पालन करके आप अपने बिजनेस को तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं। परामर्श क्षेत्र- दिशा- वायव्य कोण, तत्व- धातु। परामर्श दे सकेन वाले लोगों का ध्यान आकर्षित करने वाले, इस क्षेत्र को गतिशील अवश्य बनायें। इस क्षेत्र का सम्बन्ध ऐसे लोगों से होता है, जो आपको उचित परामर्श दे सकें। जैसे- डाक्टर, अधिवक्ता व आध्यात्मिक आदि लोग। इस क्षेत्र को निम्न उपायों द्वारों सक्रिय किया जा सकता है।
1- इस क्षेत्र में क्रिस्टल बाल लटकायें अथवा प्रकाश की मात्रा भी बढ़ाने से यह क्षेत्र गतिशील होकर शुभ फल देने लगता है।
2- इस क्षेत्र का सम्बन्ध यात्रा से भी होता है। यात्रा पर जाने से पूर्व गन्तव्य से सम्बन्धित किसी वस्तु तथा चित्र को इस स्थान पर लगायें।
3- परामर्श देने वाले व्यक्ति अपना ऑफिस घर के वायव्य कोण में बनायें जिससे आपको लाभकारी परिणाम मिलने लगेंगे। व्यवसाय क्षेत्र- दिशा-उत्तर, तत्व-जल। घर व परिवार के लोगों को व्यवसाय में सफलता एंव उन्नति के लिए इस क्षेत्र का सक्रिय होना अतिआवश्यक होता है। भवन के इस क्षेत्र में सकारात्मक उर्जा बढ़ाने के लिए निम्न उपाय करें।
1- इस क्षेत्र की प्रगति के लिए घर की उत्तर दिशा में क्रिस्टल बाल लटकायें तथा हरे रंग के प्रकाश की मात्रा को बढ़ायें।
2- इस स्थान पर टेलीफोन, कम्प्यूटर व फैन आदि रखने से यह क्षेत्र सक्रिय होकर शुभ फल देने लगता है।
3- घर की उत्तर दिशा में पूर्व की दीवार पर कोई सुन्दर कलाकृति सजाने से यह क्षेत्र गतिशील हो जायेगा।
बिना तोड़फोड़ कैसे दूर करें वास्तु दोष, आपने तमाम वेबसाइट और अखबारों या किताबों में वास्तु दोष के बारे में पढ़ा होगा। हो सकता है आपको जानकारी होने के बाद अपने घर में वास्तु दोष दिखाई दिये हों। अगर आप अपने घर में बिना तोड़फोड़ किये वास्तु दोष के निवारण करना चाहते हैं तो हम आपकी समस्या सुलझायेंगे। अधिकतर मनुष्य अनजाने में ऐसा निर्माण कार्य करा देते है, जिससे उसमें वास्तु त्रुटियां रह जाती है। ऐसे में वास्तु शास्त्र से अनजान लोग वास्तु दोष से पीडि़त होने लगते है। मकान में बिना तोड़-फोड़ किये कुछ ऐसे उपाय बता रहा हूं, जिससे आपके घर में वास्तु दोषों का प्रभाव बहुत हदतक कम पड़ जायेगा।
1- मकान में जब भी जल का सेंवन करें, अपना मुख उत्तर-पूर्व की ओर रखें।
2- भोजन ग्रहण करते समय थाली पूर्व-दक्षिण दिशा की ओर रखें और पूर्वाभिमुख होकर भोजन करें।
3- सोते समय सिर का सिरहाना दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए, जिससे कि गहरी नींद आती है।
4- घर में पूजन कक्ष ईशान कोण में होना चाहिए एंव हनुमान जी की मूर्ति को दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थापित करना चाहिए।
5- सार्वभौमिक उन्नति के लिए घर के मुख्य द्वार पर लक्ष्मी, गणेश, कुबेर स्वास्तिक, ऊँ, एंव मीन क्रास आदि मांगलिक चिन्ह बनाना लाभकारी प्रतीत होता है।
6- जेट पम्प की बोरिंग मकान के उत्तर-पूर्व दिशा में करानी चाहिए।
7- भोजन का थोड़ा सा ग्रास प्रतिदिन किसी गाय को खिलाना चाहिए।
8- पूजा कक्ष में शिवलिंग रखना वर्जित माना गया है। उपरोक्त उपायों को करने से घर में समृद्धि व शान्ती बनी रहती है।
घर में सुख-शांति के लिए वास्तु टिप्स ] नया साल हो या कोई त्योहार, अधिकांश बधाई संदेशों में आपके चाहने वाले आपके जीवन में सुख शांति एवं समृद्धि की कामनाएं भेजते हैं। समृद्धि तो आपकी मेहनत पर निर्भर करती है, लेकिन सुख और शांति के लिए आप क्या कर सकते हैं। सुख और शांति के लिए जितना ज्यादा आपका व्यवहार मायने रखता है, उससे कहीं ज्यादा आपके घर का वास्तु। मकान को घर बनाने के लिए जरूरी है, परिवार में सुख-शांति का बना रहना। और ऐसा होने पर ही आपको सुकून मिलता है। यदि आप घर बनवाने जा रहे हैं, तो वास्तु के आधार पर ही नक्शे का चयन करें। अपने आर्किटेक्ट से साफ कह दें, कि आपको वास्तु के हिसाब से बना मकान ही चाहिए। हां यदि आप बना-बनाया मकान या फ्लैट खरीदने जा रहे हैं, तो वास्तु संबंधित निम्न बातों का ध्यान रख कर अपने लिए सुंदर मकान तलाश सकते हैं।
1. मकान का मुख्य द्वार दक्षिण मुखी नहीं होना चाहिए। इसके लिए आप चुंबकीय कंपास लेकर जाएं। यदि आपके पास अन्य विकल्प नहीं हैं, तो द्वार के ठीक सामने बड़ा सा दर्पण लगाएं, ताकि नकारात्मक ऊर्जा द्वार से ही वापस लौट जाएं।
2. घर के प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक या ऊँ की आकृति लगाएं। इससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
3. घर की पूर्वोत्तर दिशा में पानी का कलश रखें। इससे घर में समृद्धि आती है।
4. घर के खिड़की दरवाजे इस प्रकार होनी चाहिए, कि सूर्य का प्रकाश ज्यादा से ज्यादा समय के लिए घर के अंदर आए। इससे घर की बीमारियां दूर भागती हैं।
5. परिवार में लड़ाई-झगड़ों से बचने के लिए ड्रॉइंग रूम यानी बैठक में फूलों का गुलदस्ता लगाएं।
6. रसोई घर में पूजा की अल्मारी या मंदिर नहीं रखना चाहिए।
7. बेडरूम में भगवान के कैलेंडर या तस्वीरें या फिर धार्मिक आस्था से जुड़ी वस्तुएं नहीं रखनी चाहिए। बेडरूम की दीवारों पर पोस्टर या तस्वीरें नहीं लगाएं तो अच्छा है। हां अगर आपका बहुत मन है, तो प्राकृतिक सौंदर्य दर्शाने वाली तस्वीर लगाएं। इससे मन को शांति मिलती है, पति-पत्नी में झगड़े नहीं होते।
8. घर में शौचालय के बगल में देवस्थान नहीं होना चाहिए।
9. घर में घुसते ही शौचालय नहीं होना चाहिए।
10. घर के मुखिया का बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में अच्छा माना जाता है।